मूल मंत्र
सूरज आता है
प्रतिदिन सबको जगाता है
हर ओर बिखर जाती है उसकी किरणें
उसका प्रकाष नही करता है
जाति, धर्म, वर्ग, संप्रदाय या
अमीर गरीब का भेद।
वह उपलब्ध होता है
सभी को समानता से।
वह है एकता और सदभाव का प्रतीक।
उसके बिना संभव नही है
इस सृष्टि में जीवन का अस्तित्व।
उदय और अस्त होकर वह
देता है ज्ञान
समय की पाबंदी का।
देता है संदेष
सतत् कर्मरत रहने का।
अस्त होकर भी प्रकाशित करता है
चंद्रमा को।
समझाता है मानव को
जीवन की निरन्तरता और
कर्मठता का रहस्य।
जीवन की सफलता और
सार्थकता का मूल मंत्र।