1 स्वेटर
स्वेटर बुनती नारियाँ, दिखे समर्पण भाव।
परिवारों के प्रति रहा, उनका नेह लगाव।।
2 शाल
शाल उढ़ा कर अतिथि को,दिया उचित सम्मान।
संस्कृति अपनी है यही, कहलाता भगवान।।
3 कंबल
ओढ़े कंबल चल दिए, कृषक और मजदूर।
कर्म जगत ही श्रेष्ठ है, कभी नहीं मजबूर।।
4 रजाई
ओढ़ रजाई खाट में, दादा जी का रंग।
सुना रहे हैं ठंड के, रोचक भरे प्रसंग।।
5 अंगीठी
जली अंगीठी घरों में, वार्तालापी-भाव।
मौसम का यह दौर है, बढ़ता बड़ा लगाव।।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111773702
Jamila Khatun 2 years ago

बहुत ही लाजवाब सर्दियों के रंग संसाधनों के संग

shekhar kharadi Idriya 2 years ago

वाह सर्द मौसम के अनुसार सुन्दर प्रस्तुति

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