संतुष्टि

आसान नही है
जीवन में मंजिल पा जाना,
पर नही है असंभव भी।
जो ठहर गया
उसके लिये कठिन है राहे
और जो चल पडा
उसके लिए राहे
होती जाती है आसान।
यदि श्रम और कर्म
का हो संगम
तो राहें भी बन जाती है
मार्गदर्शक और प्रेरणा स्त्रोत।
यदि मस्तिष्क एवं हृदय में हो
धैर्य और लगन
तब मंजिल हेाती है कदमों में।
कांटों में ही खिलते है गुलाब
सफलता, कठिनाईयों के बीच
कही रास्ता बनाती है।
इसी से मिलता है
जीवन में सुख
इसी से आती है
जीवन में समृद्धि
और इसी में छुपी है
जीवन की संतुष्टि।

Hindi Poem by Rajesh Maheshwari : 111770432

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