जीवन के बिखरे  ताने -बाने में,

हँसने और रोने के फ़साने में,

समय कैसे  गुज़रता जाता है,

महीने,सालों के आने जाने में।

कितने रिश्ते जुड़ते ,बिछड़ते,

होते थे अपने ,बनते अन्जाने में।
डॉअमृता शुक्ला

Hindi Poem by Amrita shukla : 111769309

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