हर एक इम्तिहान से गुज़रते चले;
जीवन की राह में बिखरते चले;

समेट कर रख दिए है हर आंसु,
जो आंख से हमारे सरकते चले;

नहीं हुई पूरी ख्वाहिश आज भी,
चाहे कितने भी सितारे तूटते चले;

कहाँ पहुंचेगा यह गम-ए-कारवां,
अब हर मोड़ पे हम भटकते चले;

जरुरत नहीं मयखाने की साकी,
गम के नशे में हम बहकते चले;

कोई इल्ज़ाम मुझ पर न लगाना
यहां हम खुद ही संभलते चले;

"व्योम" जरा संभल कर रहना,
कदम कदम पे रिश्ते बदलते चले;

...© વિનોદ.મો.સોલંકી"વ્યોમ"
GETCO (GEB)
મુ. આદિપુર

Gujarati Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111768175

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