मैं और मेरे अह्सास

मिथ्या है सारी मोह माया l
सब पर घेरा इसका साया ll

कर भरोसा अपने आप पे l
छाव देता खुद का छाया ll

जिसने जो बोया वहीं मिला l
कर्म का फल यहाँ पाया ll

रंगीन दुनिया के मेले मे l
धोखा सभी ने है खाया ll

दिखावे का याराना सब l
अपना ही काम मे आया ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111767199

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