*मुक्तक*
आसमां से झर रहा गहरी अंधेरी रात का नीला ज़हर
कर रहा शबनम में घुल प्यासी जमीं को तर-बतर
उसी को चाँद की प्याली में भर पीते हैं मेरे ख्वाब
मदहोश से फिर भटकते हैं जब तक ना हो जाए सहर

-नीलम वर्मा

Hindi Poem by Neelam Verma : 111766721

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