इंतजार हर रोज करता है,
इस पर भी न ये मन भरता है।
सोता मरकर-मरकर उठता,
जाने कितनी ही बार तड़पता है।
तन्हाई लिये चंदा सा मन,
जब रात ख्वाहिशें भरतीं हैं।
ये इक ख्वाब स्वयं को बुनती हैं,...... #सनातनी_जितेंद्र मन
#रातकाअफ़साना
#collab
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Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111765331

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