दोस्तों वो क्या दिन थे मम्मी की गोद , पापा के कंधे , ना पैसे की सोचना , लाइफ के फंडे , ना कल की चिंता ना फ्यूचर के फंडे अब कल की फिक्र और अधूरे हैं सपने ।
मुड़कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने ....
मंजिल को ढुंढते कहां खो गये हम ....
आखिर इतने बड़े क्यों हो गये हम ......

Hindi Blog by Pooja Singh : 111765121

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now