"लकीर"

ये कसमे, ये वादे, ये रिश्ते, ये नाते,
मेहफूज करू दिलो से तो,
छुट जाते है। रिश्ते नाते!

किस्मत की लकीर कोन बनाता है?
येहा तो खाली पडी है।
मेरी किस्मत की लकीरे।।

"वैसे तो,
"मेरी "
किस्मत की लकीरे,
हाथ को छुकर चली जाती है।

मगर मेरी जिंदगी के,
उसूलो पे चलने की आदत से,
किस्मत "स्वयमभु" बदल जाती है।

अश्विन राठोड (स्वयमभु)

Gujarati Poem by અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ : 111763020

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