मंजिल की चाहत उन्हें है, जो सफ़र से थक गए है,
हमे तो ये थकान अभी तक महसूस भी नही हुई।

- परमार रोहिणीबा " राही "

Gujarati Shayri by Rohiniba Raahi : 111762616

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