कल्पना और हकीकत

कल्पना और हकीकत में
कौन है महान ?
दोनो है एक समान।
कल्पना ही साकार होकर
बनती है हकीकत
कल्पना जन्म लेती है मस्तिष्क में
फिर मेहनत, लगन और प्रयास
उसे बदलते है हकीकत में।
हकीकत में बदलते ही
समाप्त हो जाता है
कल्पना का अस्तित्व।
मानव के प्रत्येक परिवर्तन का
उसके प्रत्येक सृजन का
आधार है उसकी कोई न कोई कल्पना।
हमारी संस्कृति और सभ्यता की भी
कल्पना ही है आधार।
कल्पना ही है सृजन का सत्य
इसे करें स्वीकार।

Hindi Poem by Rajesh Maheshwari : 111760073

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