मैं और मेरे अह्सास

आंखों से अश्क छलक रहे हैं l
बातों से शब्द छलक रहे हैं ll

रूहों से जुड़ी हुई दोस्ती की l
यादों से अश्क छलक रहे हैं l

बे पनाह मुहब्बत मे किये l
वादों से शब्द छलक रहे हैं ll

भीगी भीगी चाँदनी बरसाती l
रातों से अश्क छलक रहे हैं ll

पिया विरह की तपिश की l
आहों से शब्द छलक रहे हैं ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111759765

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