काश मेरी जिंदगी एक किताब होती।
पढ़ पाता मेरी जिंदगी को,
जिंदगी मेरी आगे क्या होती।
फाड़ पाता उन पनोहको,
जिस में खुशी कम होती।
काश मेरी जिंदगी एक किताब होती।।

जोडता कुछ पनेह हजार जिसमे खुशी जादा होती।
समय से नज़रे चुराकर पीछे चला जाता।
जो सपने मेरे अधुरे थे उसे पुरा कर पाता।
काश मेरी जिंदगी एक किताब होती।।

ना दुःख की चिंता होती,
ना तकलीफ का रोना होता।
जिंदगी मेरी खास होती।
काश मेरी जिंदगी एक किताब होती।।

मेरे अरमानो को गले लगाता,
अधुरे अरमानो को "स्वयमभु" फिरसे जी लेता।
ऐसी मेरी जिंदगी खास होती।
काश मेरी जिंदगी एक किताब होती।।

अश्विन राठोड - स्वयमभु

Hindi Poem by અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ : 111758992

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