प्रेमिकाओं का कोई नाम नहीं होता
उनका कोई चेहरा भी नहीं होता
प्रेमिकाओं का नाम ज़ोर से नहीं पुकारा जाता
सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता है
प्रेमिकाएं एकांत की साथी होती हैं
जहां फुसफुसाया जाता है उनका नाम
चेहरे को कहा जाता है चाँद

पिता के द्वारा थोपे ज़िम्मेदारियों से टूटा
नौकरी न होने से परेशान
जीवन से उबा हुआ पुरुष
प्रेमिका की बाँहो में पनाह पाता है
दुखों का अस्थि कलश
प्रेम की गंगा में बहा आने को आतुर
प्रेमी यकायक शिशु बन जाता है
प्रेमिका इस शिशु को मन में धारण करती है
छिपा लेती है अपने आँचल में
प्रेम का ये सबसे पवित्र क्षण होता है
लेकिन ये पवित्र क्षण केवल एकांत में संभव है

मौज में प्रेमी
प्रेमिका को फूल और खुशबू पुकारता है
कहता है तुम तो तीस में भी तेईस की लगती हो
तेईस में मिलती तो हम साथ फिल्म देखने चलते...
अब तो कोई न कोई टकरा जाएगा थिएटर में
यूँ सबके सामने तमाशा बनाना ठीक नहीं
प्रेमिका अनसुना करती है
प्रेम को तमाशा पुकारना
पूछती है- चाय तो पियोगे न
खूब अदरक डाल के बनाती है चाय
देर तक खौलाती है
चाय नहीं मन
फिर कसैलापन दूर करने
एक चम्मच चीनी ज़्यादा डाल देती है
प्रेमी को उसके हाथ की बनी चाय खूब पसंद है

प्रेमिका सुख की सबसे आखिरी हिस्सेदार होती है
और दुख की पहली
प्रमोशन मिलने पर पुरुष
सबसे पहले पत्नी को फोन करता है
चैक बाउंस हो जाने पर प्रेमिका को
प्रेमिका पूछती है
कितने पैसों की ज़रूरत है
कहो तो कुछ इंतज़ाम करूँ
प्रेमी दिल बड़ा कर इनकार करता
नहीं, मैं तो बस बता रहा
तुमसे पैसे कैसे ले सकता हूँ
प्रेमिका को जाने क्यूं ख़याल आता
पैसे प्रेम से अधिक क़ीमती है
वो कहना चाहती है
सुनो, प्रेम दे दिया फिर पैसे क्या चीज़ है
लेकिन कहते-कहते रुक जाती
ये फिल्मी डायलॉग सा सुनाई देता

कभी अचानक मॉल में प्रेमी के टकरा जाने पर
वो देखती है उसकी अनदेखा करने की कोशिश
लेकिन पहचान लेती है प्रेमी की पत्नी
वो जानती है उसे सहकर्मी या पुरानी दोस्त के रूप में
पूछती है- कितने दिन बाद मिली आप
कैसी हैं, क्या कर रही हैं आजकल
प्रेमिका बिल्कुल नज़रअंदाज़ करती है प्रेमी को
उसकी पत्नी का हाथ पकड़ करती है कुछ बातें
फिर जल्दी का बहाना बना निकल जाती है बाहर
अगले दिन प्रेमी बताता है
पत्नी पूछ रही थी
आजकल उसके रंग ढंग बड़े बदले से है
छेड़ में कहता है
मेरे प्रेम ने तुम्हें रंगीन बना दिया
प्रेमिका नहीं बताती
कल लौटते में उसने फिर रुलाई पर काबू किया
बस निकाल लाती है
प्रेमी के फेवरेट कलर की टीशर्ट
जो कल खरीदी थी मॉल से

निकलते-निकलते प्रेमी कहता है
सुनो घर जा रहा हूँ
अब मैसेज मत करना
फोन बच्चों के हाथ में होता है अक्सर
जाते हुए प्रेमी का माथा चूमने को उद्दत प्रेमिका
पीछे खींच लेती है कदम
कार में बैठते ही प्रेमी भेजता है कोई कोमल संदेश
फिर कोई जवाब न पाकर सोचता है
अजीब होती हैं ये प्रेमिकाएं भी

सच..कितनी अजीब होती हैं प्रेमिकाएं...❤️❤️

Hindi Shayri by Asha Saraswat : 111758759

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