मैं और मेरे अह्सास

आंखों में प्यार को छुपाना मुश्किल है l
होठो से प्यार को जताना मुश्किल है ll

चमकीली सी तेज खुमारी छाई हुई है l
नजरे नाज़ को झुकाना मुश्किल है ll

खुद के घर मे जो पर्दानशी हो उसे l
सरे आम छत पर बुलाना मुश्किल है ll

लम्हा लम्हा संजोए रखी हुई बहतरीन l
यादो को दिल से भुलाना मुश्किल है ll

अनजाने में कातिल सी चोट दे बैठे हैं l
आज रूठे यार को मनाना मुश्किल है ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111758735

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