तुम रूठोगे तो रूठ जाना
मैं ही मनाऊंगी इस बार
तुम्हें तुम्हारी ही गलती पर।
नही रूकूंगी अब
डिनर के लिए देर रात तक
जब भूख लगेगी खा लूँगी।
नही करुँगी इंतज़ार रात को
नींद आएगी तो सो जाऊँगी
दरवाजा खुला छोड़ कर
तुम आ जाना आराम से
बिना मेरे स्वगात के।
नही खोजूंगी तुम्हें तुम्हारे ही रूम में ,
रहना अपने लैपटॉप
और मोबाइल के साथ बिजी,
जिन्हें छूना सख़्त मना है ,
जिसमें तुम्हारी एक दुनिया
और भी चलती है।
नही करूँगी अब कोई बेहस
जिसमें हमेशा तुम ही विजेता रहे हो।
नही समझना
तुम्हारी हर तेज और धीमी
आवाज़ का संदर्भ
स्पष्ट बोलना अब मुझे।
रूठ कर नही जाऊंगी
इस बार मां घर,
कुछ सोचा है मैंने
इस बार अपने लिए।
तुम जाओ तो चले जाना
कृष्ण और बुद्ध की तरह
मैं नही आऊँगी पीछे,
अपने प्यार का हक़ जताने
@@प्रेमा@@

-prema

English Poem by prema : 111757727

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