My Spiritual Poem...!!!
अच्छे अच्छो को खा गई ये ज़मी
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
र॔क तो र॔क सल्तनतो-औ-शाहो की
शहंशाही खंडहर में तब्दील हो गई
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
यहा चलन निराला है प्रभु दरबार का
फ़क़ीरी लिबास में ही है पोशीदा-शाही
वक्त के शहंशाह झुकते जो हर घङी
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
अज़मत अपने किरदारकी सज़ाए रह्ते
लबो पर हर वक्त ज़िक्र-ए-खुदा रखते
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
जाहिरी तौर पर फ़कीर-से पर बातिनी
तौर पर रब से चारो प्रहर वाबस्ता रह्ते
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
सॅवार ले तूँ भी चंद साँसे ही जो है बची
ऑख बंद होने से पहले ऑख खोल ले
तुॅ मेरी जान किस गुमान मे गुम है
पोशीदा=छिपा हुआ
बातिनी=अदृश्य
वाबस्ता=तल्लीन, प्रभुमय
-Rooh The Spiritual Power