तमाम दुनियाँ के हर रंजोगम, हर रोग हमें दे दो।
अब भी बचा है गर किसी के मन में कोई क्रोध हमें दे दो।।
हाँ दे दो सब कुछ हमें, हम विष पिएंगे, नाम 'ठाकुर' है।
तुम्हें दे दी, तुम्हारी ब-अदब, बेपर्दा दुनियाँ, तुम्हीं रख्खो।।

-Satish Thakur

Hindi Shayri by Satish Thakur : 111755862

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