कविता


आंखों खेलती है
हर रात
सपनों का जुआ
दिखती है
मंजिलों के महल
पर दिन के
उजाले में
थक जाते हैं पांव
जिंदगी
हर बार
हार जाती है

डॉ पूनम गुजरानी

Hindi Poem by Poonam Gujrani Surat : 111754065

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