बहुत हों गये हैं चाहने वालें
क्यूँ न अब चाहत को कम किया जाये...
बहुतों ने कर ली बेवफाई
क्यूँ न अब किसी को रुलाया जाये..

Hindi Shayri by Prahlad Pk Verma : 111753760

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