क्या आप "हिंदुस्तानी जलपरी" के बारे में जानते हैं?
आरती साहा, जिन्हें "हिंदुस्तानी जलपरी" कहा जाता है, भारत तथा एशिया की ऐसी पहली महिला तैराक थीं, जिन्होंने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था।
आरती साहा ने यह करनामा 29 सितम्बर, 1959 को कर दिखाया था और 1960 में, उन्हें 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया था। वह 'पद्म श्री' प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं।
24 सितंबर 1940 को कोलकाता में जन्मीं साहा ने हुगली नदी के किनारे तैरना सीखा। दरअसल, उत्तरी कोलकाता में साहा परिवार जहां रहता था, चम्पाताला घाट वहीं पास ही था। आरती वहां नहाने जाती थीं और बचपन से ही उन्होंने तैराकी सीख ली।
आरती कई छोटी-बड़ी प्रतिस्पर्धाओं में जीत हासिल करती गईं और आगे बढ़ती गईं। उनकी आँखों के सामने उनका सबसे बड़ा लक्ष्य खड़ा था। वह लक्ष्य था, इंग्लिश चैनल। पानी की वह सबसे लंबी और बेहद ठंडी धारा जोकि दक्षिण इंग्लैंड और उत्तरी फ़्रांस को अलग करती है। यही इंग्लिश चैनल उत्तरी सागर को अटलांटिक महासागर से जोड़ती है। इसके ठंडे तापमान और तैराकी की कठिनाईयों की वजह से इसे 'स्विमिंग का माउंट एवरेस्ट' कहा जाता है।
आरती ने तय किया कि वह भी इंग्लिश चैनल को पार करेंगी। 18 साल की उम्र में आरती ने इंग्लिश चैनल को पार करने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाईं। पर वह निराश नहीं हुई और ना ही उन्होंने हार मानी। फिर क्या था, अगले प्रसाय में उन्हें सफलता मिल ही गयी और उन्होंने इतिहास रच डाला, ऐसा करने वाली, वह पहली एशियाई महिला बन गई थीं।