दोष मालूम होते हुए भी त्याग न करना "राग" हैं और
गुण मालूम होते हुए भी स्वीकार न करना "द्वेष" हैं..

सावधान!!

जिनसे द्वेष है, उनसे प्रेम करो,
जिनसे राग है , उसका त्याग करो,
एसा करने से मन शांत हो जाएगा।

-Jagruti Pandya

Hindi Motivational by Jagruti Pandya : 111752804

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