अधूरी थीं ख्वाहिशें, अधूरे थे हम। अब हम हैं पूरे क्योंकि, चाहतें हुईं कम। अरमान कभी मिटते नहीं, हम ही सिमट जाते हैं अपने तंग हालातों में। उन हालातों से जो अनुभव मिले, जिसने जीना सिखाया। फिर, ये समझ आया कि न जिंदगी बुरी होती है, न हालात। हम जीते कहां हैं? हम तो बस, ख्वाब देखते हैं। जब ख्वाब कम हुए तब जिंदगी हसीन हुई। कभी भीड़ में अकेले थे और आज अकेले ही महफ़िल सजा लेने का हुनर आ गया।
-Riya Jaiswal