किसान

एक गरीब ग्रामीण बूढ़ा किसान ,
कर्मठ साधारण निड़र इंसान है ।
सफेद टोपी कुर्ता पजामा ,
रंग बिरंगी पगड़ी साफे की शान है
जिंदगी से संघर्ष करता बूढा किसान है ।।
एक गरीब बूढा किसान ...

मरयिल से दो कमजोर बैल,
जज्जर लकड़ी का चलाता हल
बड़ो जमीदारो के पास ट्रेक्टर ,
बुवाई कटाई का काम होता फटाफट,
दिनरात बहाते खून पसीना खेत मे ,
सड़को पर सर फ़ूडवाते किसान ,
दो बोरी अनाज उगाने के जुगाड़ में परेशान।
एक गरीब ग्रामीण बूढा किसान

कभी खाद बीज पानी नही ,
कभी सरकार बैंक के नोटिस
तो कभी बिजली बिल से हैरान ।
सरकार भूमाफिया पूंजीपति कलेक्टर,
कब किसकी जमीन हड़प ले पता नही,
किसानी छोड़ मजदूरी करने को मजबूर इंसान ।
एक गरीब ग्रामीण बूढा किसान ...

अब किसानी फायदा का सौदा नही ,
हर किसी का पेट भर जाए जरूरी नही ।
हक़ मांगने बैठे किसान सड़को पर ,
क्या करे सरकार के सर पर जु रेंगती नही ।
महंगाई ने भी कर दिया बदहाल ,
बिना लाभ अन्न बेचने को परेशान किसान ।
एक गरीब ग्रामीण बूढा किसान ...

अपने बच्चों को कैसे पाले ,
महंगी फीस ने करा कंगाल ,
पढ़लिख कर घूमते बेरोजकर युवा,
अधेड़ बच्चों को पालने की लिए परेशान
निजीकरण भी खा गए नौकरियां ,
बूढ़ी हड्डियों में अब वो दम कहा,
जमीने बेचकर गुजारा करने को मजबूर किसान ।।
एक गरीब ग्रामीण बूढा किसान ...

Hindi Poem by Kamal Kumar : 111751114
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

किसान का वास्तविक चित्रण...

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