Final Chapter:

सुधांशु को यही चाहिए था और उसने तुरंत उसे दबोच कर अपनी भूख मिटाने लगा। इधर सुधांशु अपनी हरकत में लगा था और उधर पास ही के झाड़ियों में कुछ हरकत हुई। यहाँ लड़की रो रही थी और वहाँ से किसी के कदम हाँफते हुए उसी तरफ बढ़ने लगे। और हाँफते हुए उस औरत ने कुल्हाड़ी को इस तरह से लहराया कि सुधांशु की उघड़ी पीठ पर अच्छा निशान बन गया था। उसने तुरंत लड़की को आज़ाद किया और देखा तो चिल्ला पड़ा क्योंकि वो कुल्हाड़ी वाली तो महोबा ही थी। महोबा ने कुल्हाड़ी को एक साइड टिकाया और लड़की को ढकने लगी। लेकिन उसने एक गलती कर दी थी और इसका फायदा सुधांशु को हुआ। उसने कुल्हाड़ी उठा कर महोबा की गर्दन उड़ा दी। इससे पहले कि वो उस लड़की को भी मारता, कॉन्स्टेबल्स जो थोड़ी दूर पर थे और सुधांशु की चीख सुनकर पास आ गए थे, उन्होंने देखते ही अपने राइफल से फायर किया।
लड़की को सही-सलामत पहुँचाया गया और सुधांशु को गिरफ्तार किया गया। सब इकठ्ठा हुए चौपाल पर।
"दोनों हत्याओं में प्रधान के भाई का हाथ है। इसी ने पहले भी जमुनिया और गुलबिया का रेप किया था लेकिन जैसे ही इसने सुना कि वो पेट से हैं, इसने दुबारा उनके साथ वही किया और फिर पानी में गला घोंट के मारा। और ये इसलिए कर पाया क्योंकि आप लोगों ने हिम्मत नहीं दिखाई। झाड़ी में से एक पैर का चप्पल, कलावा में जड़े घुंघरू के दाने जो टूट के यहीं मिले, सब इसी के हैं। और सबसे बड़ी बात, ये पागल नहीं है, पागलपन का ढोंग करता है। कामचोरी और इसी वहशियाना हरकत की वजह से इसे वहाँ से भगाया गया था। और सुनो प्रधान, तुम्हारी बीवी भी पेट से थी।" आखरी वाक्य से ही पूरा चौपाल चौंक गया। इंस्पेक्टर ने कहना जारी रखा, "लेकिन इस बार वो बचाने के चक्कर में मर गयी। मतलब समझा प्रधान? तू हर हाल में बाप नहीं बन सकता। समझ तो गया ही होगा कि तेरी बीवी के पेट में किसका बच्चा होगा!" इंस्पेक्टर ने बात इस जगह ख़त्म की थी कि सारा मामला पानी-पानी हो गया।

The End

Hindi Story by Abhilekh Dwivedi : 111750758

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