कई दिन गुज़र गए, कुछ बोले नही है हम,
ख़ैर अब तो सालों बीत जाएँगे...

तमन्नाओं का महल बिखेर दिया हमने ही,
सुनसान राहों से गुज़र जाएँगे...

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111750147

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