देश के माथे की बिंदी
हमारी प्यारी भाषा हिंदी
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मेरे देशवासियों
स्नेहिल नमन
हम आज के दिन अपने संविधान में हिंदी की मान्यता को याद करते हुए इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं।
हम इस दिन का सम्मान करते हैं, सही है, किंतु मेरे विचार में हम भारतीयों के लिए केवल एक दिन नहीं, प्रतिदिन अपनी भाषा के प्रति इसी शिद्दत से प्रेम व सम्मान का भाव रखने की आवश्यकता है।
देश है तो हम हैं, देश की भाषा है तो हमारी पहचान है।वास्तव में देश हमारा गर्व है और इसकी भाषा हमारे माथे पर सुसज्जित सूर्य सी बिंदिया! जो हमें उजास देती है,ऊर्जा देती है,पहचान देती है।
आइए, हम सब मिलकर इसको प्रतिदिन व्यवहार में लेकर इसका सम्मान करें,इस पर अभिमान करें।
जय भारत, जय जवान
अपने वीरों का सम्मान
करते हम सब सदा बखान
अपनी भाषा सदा युवान!
डॉ.प्रणव भारती