तुम बेवफा सही मुझे कोई गम नही,
अपनी वफाओ से कोई शिकवा नही ।
तुम निकलो किसी भी गली से,
मुड़कर देखना मेरी आदत में नही।
इश्क भी एक मौसमे बहार है ,
बारिशों के बाद क्या आएगी नही ।
माना इश्क हर किसी का ख्वाब है,
हर किसी को मिले जरूरी तो नही।
खुली आंख से देखो सपना,
मंजिले और भी है मिलेगी फिर यही कही।।

-Kamal Kumar

Hindi Poem by Kamal Kumar : 111749435

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