हे कान्हा..! तू नदियों सा है,
विशालकाय हो के भी शांत है।
मैं झील सी नादान हूँ, जो
अपने अस्तित्व को पाने शोर कर बैठी।

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111748646

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