''पापा राज बहुत अच्छा है ...
मैं उससे ही शादी करूंगी..वरना !! '
पापा ने बेटी के ये शब्द सुनकर एक घडी को तो सन्न रह गए .
फिर सामान्य होते हुए बोले -'
ठीक है पर पहले मैं
तुम्हारे साथ मिलकर उसकी परीक्षा लेना चाहता हूँ तभी
होगा तुम्हारा विवाह राज से...
कहो मंज़ूर है ?
'बेटी चहकते हुए
बोली -''हाँ मंज़ूर है मुझे ..
राज से अच्छा जीवन साथी कोई हो
ही नहीं सकता..
वो हर परीक्षा में सफल होगा ..
आप नहीं जानते पापा राज को !'
अगले दिन कॉलेज में नेहा जब राज से मिली तो उसका मुंह लटका हुआ था.. राज मुस्कुराते हुए बोला
-'क्या बात है स्वीट हार्ट..
इतना उदास क्यों हो ....
तुम मुस्कुरा दो वरना मैं अपनी जान दे दूंगा .''
नेहा झुंझलाते हुए
बोली -'राज मजाक छोडो ....

पापा ने हमारे विवाह के लिए
इंकार कर दिया है ...
अब क्या होगा ?
राज हवा में बात उडाता
हुआ बोला होगा क्या ...
हम घर से भाग जायेंगे और कोर्ट
मैरिज कर वापस आ जायेंगें .''

नेहा उसे बीच में टोकते हुए बोली
पर इस सबके लिए तो पैसों की जरूरत होगी.. क्या तुम मैनेज
कर लोगे ?'' ''
ओह बस यही दिक्कत है ...
मैं तुम्हारे लिए जान दे सकता हूँ पर इस वक्त मेरे पास पैसे नहीं ...
हो सकता है घर से भागने के बाद हमें कही होटल में छिपकर रहना पड़े..
तुम ऐसा करो, तुम्हारे पास और तुम्हारे घर में जो कुछ भी चाँदी -सोना -नकदी तुम्हारे हाथ लगे तुम ले आना ...
वैसे मैं भी कोशिश करूंगा ...
कल को तुम घर से कहकर आना कि
तुम कॉलेज जा रही हो और यहाँ से
हम फर हो जायेंगे...
सपनों को सच करने के लिए !''
नेहा भोली बनते हुए बोली
-''पर इससे तो मेरी व् मेरे परिवार कि बहुत बदनामी होगी ''
राज लापरवाही के साथ बोला
-''बदनामी , वो तो होती रहती है ...
तुम इसकी परवाह मत करो..''
राज इससे आगे कुछ कहता उससे पूर्व ही नेहा ने उसके गाल पर जोरदार तमाचा रसीद कर दिया..
नेहा भड़कते हुयी बोली
-''हर बात पर जान देने को तैयार बदतमीज़ तुझे ये तक परवाह नहीं जिससे तू प्यार करता है उसकी और उसके परिवार की समाज में बदनामी हो ....
बदतमीज़ ये जान ले कि मैं वो अंधी
प्रेमिका नहीं जो पिता की इज्ज़त की धज्जियाँ उड़ा कर ऐय्याशी करती फिरूं .कौन से सपने सच हो जायेंगे ....
जब मेरे भाग जाने पर मेरे पिता जहर खाकर प्राण दे देंगें !
मैं अपने पिता की इज्ज़त नीलाम कर तेरे साथ भाग जाऊँगी तो समाज में और ससुराल में मेरी बड़ी इज्ज़त होगी ...वे अपने सिर माथे पर बैठायेंगें...और सपनों की दुनिया इस समाज से कहीं अलग होगी
घर से भागकर क्या आसमान में रहेंगें ?
पीछे से ताली की आवाज सुनकर
राज ने मुड़कर देखा तो पहचान न पाया.. नेहा दौड़कर उनके पास
चली गयी और आंसू पोछते हुए बोली -'पापा आप ठीक कह रहे थे
ये प्रेम नहीं केवल जाल है

Hindi Motivational by Dipak Chavda : 111746072

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