समाज का वो आईना,
जिसको हर कोई अब न साफ करता है,
जात पात की बातों को
नया दौर कहां अब याद करता है,
उन नवांकुरों को कोई ये बता दे ज़रा,
बहुमूल्य और कीमती होती हैं
अपनी तहजीबें, इतिहास और संस्कृति
इसको भूल कर भी क्या कोई ,
आगाज़ करता है।👍🙏🙏

Hindi Shayri by Arjuna Bunty : 111742904

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