हज़ारों बवंडर से लड़कर जी गए,
चाहत के दरिया में ऐसी कई लहरें उठी...
Raahi
ज़माने को ख्वाब दिखा रहे थे हम,
और ख़्वाब सो गए जब ये आँखे उठी...

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111741593

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now