परवाने

देश की आन बचाने को, ना जाने कितने समर हुए
नमन है उन परवानों को,जो देश की खातिर अमर हुए
वो भी आंखों के तारे थे, मां - बाप के राजदुलारे थे
अपने बच्चों की दुनिया थे, जो उनको जान से प्यारे थे
आबाद थी राखी बहनों की, भाई की कलाई में सजकर
मां - बाप की सांसे आश्रित थी, बेटे की सांसों से बंधकर
भारत मां की पुकार सुनकर, सारे कर्तव्य लगे बौने
पहुंचा रण में कर सिंहनाद, भागे सियार संग में छौने
मातृभूमि की सेवा में, क्षण भर में सब कुछ त्याग दिया
मां तेरा वैभव अमर रहे , यह निश्चित करके प्रयाण किया
हम कृतज्ञ होकर नमन करें, आंसू के फूल चढ़ाए सब
उनके पदचिन्हों पर चलकर, देश का मान बढ़ाएं अब

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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111740671
सुधाकर मिश्र ” सरस ” 3 years ago

धन्यवाद शेखर जी।

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अति सुन्दर प्रस्तुति

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