एक पंछी का घोंसला बिखरने लगा ,
कुछ लोगों का चेहरा निरखरने लगा ,
कुछ मसीहा बनेंगे सिर्फ़ दिखावा को ,
कुछ ताक जमाए बैठे हैं बस धावा को ,
ज़िंदगी सबका हिसाब करेगी एक दिन ,
जो बोया है वही फ़सल कटेगी एक दिन ,
जो तमाशा देखकर मुस्कुरा रहे हैं आज ,
बाहर व्याकुल मन में हर्षा रहे हैं आज ,
खुशियां मानो मेरे घर का रास्ता भूल गईं ,
मुझसे क्या है वो शायद वास्ता भूल गईं ,
हर रात के बाद उम्मीदों की सुबह होती है ,
जो चलता रहता है उसी की फतह होती है ,