चांद को सवरने की ज़रूरत क्या है ,
दरिया को ठहरने की ज़रूरत क्या है ,
आप तो ख़ुद नूर हो इस गुलशन का ,
नूर को निखरने की ज़रूरत क्या है ,

कली को फूल बनने की ज़रूरत क्या है ,
बन के फूल बिखरने की ज़रूरत क्या है ,
कुछ फूलों की हिफाज़त कांटे करते हैं ,
बाग में माली रखने की ज़रूरत क्या है ,

प्यार को सिर्फ़ जताने की जरूरत क्या है ,
बिना रूठे को मनाने की ज़रूरत क्या है ,
ज़रूरी नही इश्क़ में जिस्म ही मुकम्मल हो ,
सिर्फ जिस्म में समाने की ज़रूरत क्या है ,

Hindi Blog by Poetry Of SJT : 111737243

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