इस कहानी के लिखने का उद्देश्य, भारत में राजनीतिक व्यवस्था के बारे में बात करना है।  
दोस्तों गणतंत्र देश होना बहुत ही अच्छी बात हैं क्योंकि हम अपने सद्बुद्धि से अपने मत का प्रयोग कर देश की बागडोर एक ऐसे नेता के हाथ में देते हैं जो देश को उच्चस्तरीय स्तर तक पहुचा कर समूचे विश्व में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सके और देश के आन्तरिक समस्याओं का समाधान कर हमारा हितैषी बने । पर ऐसा होता नही है  ,आजकल सरकार झूठ की नींव पर बनती है , सरकार बनने से पहले जनता जनार्दन भगवान की तरह होते हैं, पार्टियों के सिर आँखो पर।  
चुनाव जीतने के बाद आप कौन?  ऐसी स्थिति आ जाती है, सभी अपने स्वार्थ सिद्धि में संलग्न हो जाते हैं। 

चलिए  वर्तमान सरकार के बारे में बात करते हैं ----

2014 से शुरू करते हैं---

देश में  चुनाव का माहौल था, सभी जगह रैलियो का अम्बर था, रैलियो में झूठ का विजय रथ तैयार किया था रहा था....   
देखना था आखिर हो रथ किसका होगा? 
देश की जनता कांग्रेस सरकार से पुरी तरह उब गयी थी, उनके प्रधानमन्त्री  प्रखर विद्वान थे, उच्च दर्जे के finance के ज्ञाता पर कहते हैं न व्यक्ति कितना भी विद्वान क्यू न हो अगर वो किसी की कठपुतली है तो उसकी विद्वान अशिक्षा के समान होती है, इसलिए अच्छा नेता होते हुए भी अपने कार्यकाल को आगे न बढा  के।  चलिए छोड़िये बात कर वर्तमान सरकार की जो की देश की जनता में नयी आशा का संचार लायी है,अब देखते हैं क्या ये अपने वादो पर अमल रहती है या अन्य सरकार की भाति इनका भी विजयरथ झूठ के चक्को पर स्थित है। 

आगे बढते है -----

2014-19
इस समय सीमा में सरकार कई योजनाएं लाए जैसे  ---उज्जवला योजना
2- आयुष्मान भारत
3-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 
4-आवासीय योजना
ऐसे बहुत योजनाएं जिसका  जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा  और एक बार फिर मोदी सरकार को देश का  बागडोर देने का फैसला किया ---

देश में कई तरह के लोग रहते हैं सब की अलग-  अलग आवश्यकताए होती हैं----

अगर कोई किसान है तो वो अपने आवश्यकताओं को देखता है,
सरकार  प्रति वर्ष 6000 रूपय 3किस्त में किसान के खाते में देता है, लेकिन इसके साथ ही कृषि में आवश्यक समानो का दाम लगभग दुगना हो गये हैं,  Dap,खाद आदि आवश्यकता के समान। 

2- अगर कोई विद्यार्थी है तो उसकी अलग आवश्यकताये है --
एक विद्यार्थी भारत का भविष्य होता है तो जरुरी है हम उसके सभी आवश्यकता को पुरी करे पर सरकार द्वारा नौकरी न दिए जाने के कारण बेरोजगार घर पर बैठने की नौबत है।। 

4 आम जनता-- को आवश्यकता अलग है। 
हमारे देश मध्यवर्ती है,अगर हम संसाधनों के मूल्य सहन स्तर से काफी ज्यादा कर दें तो हम अपनी अवश्यकता को कैसे पुरा करेंगे। 

पर क्या ही फरक पड़ता है, अभी तो 5 साल है, जब चुनाव का समय आएगा कुछ योजनाएं ला देंगे, कुछ vacancy  ला देंगे सब set. 

 

Hindi Story by शाश्वत चौबे : 111737036

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