On Kargil .... Today 26th July...

मानो सफेद चादर थी बिछाई, उसमे घुल गया गरम लाल;

इस लाल खून बहाके, सो गए उस चादर पे, अनेक माँ ओ के लाल

देशकी मिट्टी को पावन कर गए, यह बहादुर देश के लाल

क्या कहें, शब्द नहीं है, जो मरमिटे, अपनी बिविका सिंदूर मिटाके लाल

नमन हमारा हर शाहीदको, जो अपने खुनसे रंग गए माता को लाल

Armin Dutia Motashaw

Hindi Poem by Armin Dutia Motashaw : 111735598

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