कोई है क्या एसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।

अब वो तो हे नहीं जिसके गोदी मे सर रखकर रो सके।
खुदा ने छिन लिया है वो आँचल जिसे लगकर रो सके।
कोई है क्या एसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।।

हमे तो ये भी याद नहीं कि हमे पल्लू मे छुपकर रो सके।
अब तो ये भी नहीं हो सकता कि कहीं छुपकर रो सके।
कोई है क्या एसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।।

तकिये ने भी साथ छोड़ दिया है वो मुह छुपाकर रो सके।
अब तो आदत सी हो गई है कोई मिले एसा तो रो सके।
कोई है क्या एसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।।

-PARIKH MAULIKH

Hindi Thank You by PARIKH MAULIK : 111735133

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