दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई,

जैसे एहसान उतारता है कोई,

दिल मे कुछ यूँ सँभालता हूँ

गम जैसे जेवर सँभालता है कोई,

आइना देख कर तसल्ली हुई हम

को कि इस घर में जानता है कोई

पेड़ पर पक गया है फल शायद

फिर से पत्थर उछालता है कोई

देर से गूँजते हैं सन्नाटे जैसे

हम को पुकारता है कोई।

Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111734515

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