My Wonderful Poem..!!!
जरूरत है कुछ नए
नफरत करने वालों की
सभी पुरानेवाले तो
अब चाहने लगे है हमें
उल्फ़त की डगर ही
है कुछ एसी नफ़रतों के
सैलाब हो या ग़मों का
हो जज़ीरा राश़ आँतें हमें
परवाने मोहब्बत के ही
हर दौर में रोशनी बिखेरेंगे
हँस कर ऑसु खून के भी
पी लेंगे, उफ़ तक न देंगे हमें
ओढ़ कर चादर जुर्मोंकी
शिकन चेहरे पर न आने देंगे
मोहब्बत के मरीज़ों के हैं
यहीं फँसाने, रुसवा न करे हमें
प्रभुजी भी इम्तिहान लेते हैं
उन्हीं के जो पसंदीदा हो प्रभु को
वरना ख़ुदगर्ज़ियों की कमीं
नहीं गालिब जो ज़ख़्म ही देते हमें
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