मुझमें इश्क है, तेरे नाम का...
और मैं तुझको भूल जाऊं ..
ये बस तेरी भूल है!!
तुम बीत गए घड़ियों की तरह,
मेरी यादों पर जमे हो ऐसे ..
जैसे जमती किताबों पर धूल है!!
माना अनजान थे..और अनजान हो,
पर तेरी नफरत का वो एक हिस्सा भी ,
हमें हंसते हंसते ही कुबूल है!!

-jagGu Parjapati ️

Hindi Poem by jagGu Parjapati ️ : 111733003

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