My Wonderful Poem…!!!
यारों तकलीफ ख़ुद ही कम हो गई
जब ख़ुद अपने से उम्मीद कम हो गई
दिल सुकून ओर ज़हन चैन पा गया
जब ख़्वाहिशोंकी पेशकश कम हो गई
मन बबाल-ओ-जंजाल से तनाव मुक्त
ओर जिस्मानी हरारत भी कम हो गई
बे-मायने ज़िम्मेदारीयों का बोझा दूर
हूआ रुँहानियत भी संजीदा-सी हो गई
वक़्त की दहलीज़ पर जीदगीं आसान
ओर प्रभु-परस्ती की तस्वीर साफ़ हो…
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