धूपभरी पगडंडी मैं और मेरा नंगे पांव भागना...

रोज़ हि ना मिलता एक भी ठिकाना...

तभी मखमली से जूते लाया कोई...

मेरे छालो पे जैसे मरहम लगाए कोई...

मुझे होले होले चलना सिखाए कोई...

दिल डरे अब ये जूते निकलने से ,
कहीं कंकर ना चुभे ,
इन कोमल हुए पैरों मे कोई ।

Hindi Good Night by Yayawargi (Divangi Joshi) : 111731063

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