आदमी ही आदमी का लिवास ओढ़ता हैं आदमी..!
जो ढोंग मिलने मिलाने रीवाज़ ओढ़ता हैं आदमी..!!
लिवास ए आड़ की गिरेवा से गिरेवा झांकता हैं आदमी..!
असलियत छुपा के चेहरे औरों के ताकता हैं आदमी..!!
ओहदा ए ओहदों की नस्ल टटोले हैं आदमी ही आदमी..!
होड़ की ज़िन्दगी में गिरता गिराता हैं आदमी ही आदमी..!!