देख लिया उम्दा लिवासों की सोहबत में रह कर
दर्द वही के वही पुराने रहें..!
ना बदली जुबां ए सोच की रंगत हर आइनों में जिस्म वही के वही पुराने रहें..!!
नए लिवास ए जिस्म ढकले कितना भी आदमी खंडहर ए जिस्म आसियाने रहें..!
शानों शौकत की दौड़ में हैं हर आदमी, पर आदमी ही आदमी से अनजाने रहें..!!