My Realistic Poem..!!!!
हंसते हर चेहरे के पीछे
जानें कितने ऑसु छिपें है
सैलाब ग़मों का सीनें में
पर मुश्कुराहट चेहरे पे है
ऑसू को पीना भी आर्ट
जो सब के बस में नहीं हैं
भँवर की डगर पर तूटती
कश्ती 🛶 को सँभालें है
जवा मर्द 🏃♂️ जो दर्द को
बर्दाश्त कर के जी लेते हैं
प्रभु भी उन्हीं के इम्तिहान
सख़्त-ओ-संगीन लेते है
अलगाव की बात है कि
वहीं मोक्ष-मुक्ति पाते हैं
संतों की जीदगीं ग़र देखो
तो जानों कि मर्म क्या है
जीवनरुपी सफ़र 🛳 का
वरना जानवर भी जी लेते हैं
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