चंद पल जो तेरे साथ में गुजारे हैं,
वो अनमोल,खूबसूरत, बड़े न्यारे हैं।
न कोई तसवीर, न ही कोई निशानी है,
तीन दिन की छोटी सी एक कहानी है।
न भोली बोली,न शरारतें, न बातें हैं,
मासूम अठखेलियों की न कोई यादें हैं।
अभी तो ठीक से तुमको न निहारा था,
तुम्हारे नाम से एक बार न पुकारा था।
तेरी ठहरी सांसों का गम अब भी है,
कुछ न कर पाने से पलकें नम अब भी हैं।
मेरी बेटी तुम हरदम मेरे मन में हो,
मेरी 'मानवी' मेरे नाम,मेरे जीवन में हो।

रमा शर्मा 'मानवी'
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Hindi Poem by Rama Sharma Manavi : 111723966

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