एक और छोटी सी कविता लिखी है मैने।
वो सारी कहां गई मालूम नहीं,
क्या आप ये भी नहीं दिखेंगी ?
ममा ! गुस्सा करिए, नाराज़ मत रहिए।
कहीं मन नहीं लगता!

-दर्शनिक
(आचार्य जिज्ञासु चौहान)

Hindi Sorry by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111723264

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