जब एक पुरुष एक बेटी का पिता बनता है, तो वह अनेक पहलुओं में मानसिक और भावनात्मक रूप से बदल जाता है। अब वह स्वयं को नारियल के व्यक्तित्व के रूप में कठोर प्रकट नहीं करता बल्कि वह स्वभाव से कोमल होता जाता है और उसकी बेटी उसके कोमल, प्रेममय पक्ष को देखती है। जो कभी एक बहादुर पुरुष था, वह अब एक रक्षक के रूप में उस समय चिंतित हो जाता है जब उसकी छोटी सी बच्ची लुका-छिपी का खेल खेलते-खेलते पलंग के नीचे छिप जाती है।
वह अब गुस्सैल युवक के रूप में नहीं रह पाता बल्कि वह एक ऐसा इंसान बनता चला जाता है जो अपनी बेटी को थोड़ा सा भी रोता देख परेशान हो जाता है।
एक बेटे से प्रेमी तक का सफ़र तय करके फिर पति बन आखिरकार जब एक पुरुष बेटी का पिता बनता है तो वह एक योद्धा, गुमनाम नायक और सदैव के लिए अपनी बेटी का निस्वार्थ प्रेमी बन जाता है जो उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
यह सच है की हर लड़की एक राजकुमारी बनने का सपना देखती है लेकिन सच कहूँ तो मैंने ऐसा कभी ख़्वाबों में भी नहीं सोचा क्योंकि मेरे साथ आपने सदैव राजकुमारी की तरह ही व्यवहार किया है और मुझे सदैव ही अत्यधिक प्रेम दिया है।
वैसे तो हर दिन आपका ही दिन है और मैं बहुत बार आपको कह चुकी हूँ मगर फिर भी मैं आपको केवल यह बताना चाहती हूँ कि आप मेरे लिए पूरी दुनिया में सबसे अनमोल हैं। आपके जैसा निस्वार्थ प्रेम मुझे कोई कर ही नहीं सकता। जैसा आप मुझे महसूस कराते हैं, जितना प्यार करते हैं, जितनी आप मेरी परवाह करते हैं, मेरी हर ज़िद पूरी करना और हमेशा ही मुझ पर अपना पूरा ध्यान रखना.. यह सबकुछ आपके अलावा कोई कर ही नहीं सकता।
मैं हमेशा आप से कहती हूँ मैं आप जैसी नहीं बन सकती। सच कहूँ तो आप जैसा बनना मेरे बस में ही नहीं है.. इतनी महानता, इतना प्रेम और इतनी निस्वार्थ भावना सभी के लिए फिर चाहे कोई अपना हो या पराया.. मुझ में आपका ऐसा एक भी गुण हो इतनी अच्छी नहीं हूँ मैं।
आप जैसा पिता पाकर मैं तो धन्य हो गई। प्रत्येक जन्म आप मेरे ही पिता बनना।
आपको पितृदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं♥️♥️
कृपा बनाए रखना और हाँ पार्टी हमेशा की तरह अपन रात में करेंगे।
बहुत-बहुत प्यार आपको परमार साहब।
- रूपकीबातें
♥️♥️
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Hindi Blog by Roopanjali singh parmar : 111722154

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